आस-पास के पुरातत्व धरोहर को सहेजने आरंग में 25 लाख रुपए की लागत से बनेगा संग्रहालय

राजा मोरध्वज महोत्सव के भव्य आयोजन के लिए हर वर्ष मिलेगी 5 लाख रूपए की राशि

संस्कृति मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने राजा मोरध्वज महोत्सव के समापन अवसर पर घोषणा की कि आरंग को अब राजा मोरध्वज नगर के नाम से जाना जाएगा। उन्होंने कहा कि आरंग और आस-पास के क्षेत्रों में बिखरे पुरातात्विक अवशेषों को सहेजने के लिए 25 लाख रूपए की लागत से आरंग में संग्रहालय बनाया जाएगा। उन्होंने राजा मोरध्वज महोत्सव को भव्य स्वरूप देने के लिए प्रत्येक वर्ष 5 लाख रूपए देने की भी घोषणा की।

संस्कृति मंत्री श्री अग्रवाल ने संबोधित करते हुए कहा कि राजा मोरध्वज का जीवन हमें बहुत कुछ सबक देता है। अगर हम धर्म के रास्ते पर चलेंगे और वादों के पक्के रहेंगे तो भगवान भी हमारा साथ देंगे। उन्होंने कहा कि राजा मोरध्वज एक न्यायप्रिय और धर्मपरायण राजा थे। जिन्होंने अपना वचन निभाने के लिए अपने बेटे को आरी से कटवा दिया था, जिसके कारण इस शहर को आरंग नाम मिला।

समापन अवसर पर स्थानीय कलाकारों ने नाटक का मंचन कर राजा मोरध्वज और भगवान कृष्ण के संवाद को जीवंत किया जिसने सभी का दिल जीत लिया। महोत्सव का आयोजन विधायक गुरु खुशवंत साहेब के मार्गदर्शन में किया गया। कार्यक्रम में विधायक श्री अनुज शर्मा, श्री कृष्ण कुमार भारद्वाज, श्री राजेंद्र चंद्राकर, श्रीमती लक्ष्मी वर्मा, श्री नारंग, श्री किरण, पर्यटन विभाग के अधिकारी समेत बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद रहे।