विद्यार्थियों को मिले स्वर्ण पदक एवं उपाधियां आपकी उपलब्धियां, कठिन परिश्रम, समर्पण, शैक्षणिक उत्कृष्टता का प्रमाण: राज्यपाल श्री विश्व भूषण हरिचंदन
शिक्षा का मूल उद्देश्य ‘‘सर्वे भवंतु सुखिन‘‘ के ध्येय वाक्य के साथ एक दूसरे की मदद करना: मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय
रायपुर, 6 जुलाई 2024
राज्यपाल श्री विश्व भूषण हरिचंदन एवं मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय आज पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के छठवें दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। दीक्षांत समारोह में विभिन्न सत्रों की परीक्षाओं में छात्रों को स्नातक, स्नातकोत्तर, डिप्लोमा, पात्रोपधि के लिए उपाधि एवं स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। इस मौके पर श्री राम प्रताप सिंह एवं सुश्री सुरभा देश पांडे को विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि दी गई। समारोह में कुलाधिपति द्वारा पीएचडी छात्रों को उपाधि प्रदान की गई एवं इस उपाधि के आचार एवं गौरव की रक्षा करने के संदेश दिए गए। अतिथियों ने उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों को अग्रिम भविष्य के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
राज्यपाल श्री विष्णु भूषण हरिचंदन ने समारोह में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कहा कि मुझे छठवें दीक्षांत समारोह में शामिल होते हुए बेहद खुशी हो रही है। उन्होंने स्वर्ण पदक एवं उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी और उपाधि प्राप्त करने वाले शोधार्थियों के परिवारजनों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि उनके सहयोग त्याग एवं मार्गदर्शन में आपने ये महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं।
राज्यपाल श्री हरिचंदन ने कहा कि आपकी महत्वपूर्ण उपलब्धियां आपके कठिन परिश्रम, समर्पण, आपकी शैक्षणिक उत्कृष्टता का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय 21 मार्च 2005 को स्थापित हुआ। पंडित सुंदरलाल शर्मा ने छत्तीसगढ़ में जन जागरूकता एवं सामाजिक प्रगति लाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह विश्वविद्यालय पंडित सुंदरलाल शर्मा जी के सपनों को गढ़ने एवं साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने उच्च शिक्षण गुणवत्ता बनाए रखने के लिए विश्वविद्यालय को नैक द्वारा ’ए’ प्लस ग्रेड दिए जाने के लिए भी बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
राज्यपाल श्री हरिचंदन ने कहा कि विकसित भारत, समृद्ध भारत की संकल्पना पर आधारित है। विकसित भारत संकल्पना के जरिए क्षेत्र के सभी नागरिकों को अपनी क्षमता के अनुसार विकास करने के अवसर प्रदान किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय जनजाति क्षेत्र में रहने वाले अति पिछड़े समुदायों तथा कॉविड-19 से प्रभावित लोगों को शिक्षा का अवसर प्रदान कर अपने सामाजिक सरोकार के उद्देश्य को भी पूरा कर रहा है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए स्वर्ण पदक एवं उपाधि हासिल करने वाले विद्यार्थियों को बधाई और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी। श्री साय ने कहा, मुझे प्रसन्नता है कि हमारे छत्तीसगढ़ राज्य का एकमात्र यह मुक्त विश्वविद्यालय अपने अकादमिक और शैक्षणिक गतिविधियों के साथ नित नई ऊंचाइयों को छू रहा है। दूरस्थ अंचलों में बसे ऐसे शिक्षार्थियों के लिए जो किसी कारणवश उच्च शिक्षा से वंचित रह गए हैं या नौकरी पेशा वर्ग के ऐसे विद्यार्थी जो अपने भावी सपनों को साकार करना चाहते हैं उनके लिए यह विश्वविद्यालय शिक्षा के अवसर प्रदान करने का प्रमुख केंद्र बन गया है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि, मुझे खुशी है कि यह विश्वविद्यालय अपने ध्येय वाक्य ‘‘उच्च शिक्षा आपके द्वार‘‘ के अनुरूप अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा, शिक्षा का मूल उद्देश्य सर्वे भवंतु सुखिनः के ध्येय वाक्य के साथ एक दूसरे की मदद करना है। हमारे राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू किए जाने से युवाओं में तार्किक क्षमता के संवर्धन के साथ ही उनका सर्वांगीण विकास होगा। इस विश्वविद्यालय को यूजीसी के 235 विश्वविद्यालय की उस सूची में शामिल किया गया है जो संयुक्त अथवा दोहरी डिग्री दे सकता है। अब यह विश्वविद्यालय विदेशी विश्वविद्यालय के साथ मिलकर संयुक्त डिग्री के लिए कार्यक्रम शुरू कर सकता है यह खुशी की बात है कि हमारे छत्तीसगढ़ के विद्यार्थी विदेशी विश्वविद्यालय से जुड़ सकेंगे।
विश्वविद्यालय परिवार की प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, मेरा सुझाव है कि विश्व के लोगों का छत्तीसगढ़ की भाषा और संस्कृति से परिचय कराया जाए, इस दिशा में छत्तीसगढ़ी पाठ्यक्रम की शुरुआत इस विश्वविद्यालय ने की है यह सराहनीय कदम है। इस विश्वविद्यालय का अध्ययन-अध्यापन के साथ यह भी दायित्व बनता है कि छत्तीसगढ़ अंचल के भाषा संस्कृति को समृद्ध करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर मुख्यमंत्री श्री साय ने समारोह में उपस्थित जनों से एक पेड़ माँ के नाम अभियान से जुड़ने की अपील की और कहा कि अपने आसपास सुलभ जगह देखकर आप सभी एक पेड़ माँ के नाम जरुर लगाएं और उसकी देखरेख करें।
कार्यक्रम में दीक्षांत उद्बोधन देते हुए श्री सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा आज हमारा देश सफल नेतृत्व के संचालन के साथ आगे बढ़ रहा है। पूरे विश्व में हमारा गौरव एवं सम्मान बढ़ा है। शिक्षा से हमें सामर्थ्य प्राप्त होता है और मनुष्य के रूप में प्राप्त ऋणों से मुक्त होने तथा श्रेष्ठ जीवन के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि हमें शिक्षा और ज्ञान के विकास के साथ-साथ संस्कारों को भी पोषित करना चाहिए। उन्होंने स्वर्ण पदक एवं उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
केंद्रीय राज्य मंत्री श्री तोखन साहू ने दीक्षांत समारोह में अपना उद्बोधन देते हुए स्वर्ण पदक, उपाधि प्राप्तकर्ताओं एवं स्वर्ण पदक पाने वाले विद्यार्थियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा की व्यक्ति के लिए शिक्षा एवं संस्कार महत्वपूर्ण आधार स्तंभ है, शिक्षा जहां मनुष्य को अपने कार्य क्षेत्र से संबंधित कौशल प्रदान करता है वहीं संस्कार मनुष्य को समाज में श्रेष्ठ नागरिक बनने के लिए प्रेरित करता है। मानव जीवन में शिक्षा महत्वपूर्ण स्थान रखता है शिक्षित व्यक्ति अपना समुचित विकास करते हुए समाज और राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने भी दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय परिवार द्वारा पूरे मनोयोग से विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान किया जा रहा है। रामचरितमानस के पाठ्यक्रम संचालित कर यहां पर आध्यात्म से जुड़ी शिक्षा दी जा रही। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए पाठ्यक्रम में आमूल चूल परिवर्तन किया गया है और विषयों के बंधन से मुक्त किया गया है। योग्यता, गुणवत्ता एवं आवश्यकता पर आधारित विषयों को समाहित कर पाठ्यक्रम को वर्तमान उद्देश्यों के अनुरूप बनाया गया है।
कुलपति श्री बंशगोपाल सिंह ने कहा कि यह विश्वविद्यालय अपने उद्देश्यों को साकार करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। इस अवसर पर बिलासपुर विधायक श्री अमर अग्रवाल, तखतपुर विधायक श्री धर्मजीत सिंह, बिल्हा विधायक श्री धरमलाल कौशिक, बेलतरा विधायक श्री सुशांत शुक्ला, कोटा विधायक श्री अटल श्रीवास्तव, मस्तुरी विधायक श्री दिलीप लहरिया, विश्वविद्यालय परिवार के सदस्य सहित जिला प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारी मौजूद थे।