ग्रामीण मीडिया कार्यशाला केंद्र सरकार की योजनाओं के प्रसार के लिए अच्छा कदम : श्री लल्लू सिंह
भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) लखनऊ द्वारा अयोध्या जिले में ग्रामीण मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसका उदघाटन माननीय सांसद श्री लल्लू सिंह ने द्वीप प्रज्वलित करके किया।कार्यक्रम में पीआईबी के अपर महानिदेशक श्री विजय कुमार,उपनिदेशक डा एमएस यादव ,जिले के सिटी मजिस्ट्रेट श्री अरविंद द्विवेदी , शिक्षा मंत्रालय की डेप्युटी सेक्रेटरी श्रीकला पी वेणुगोपाल और सलाहकार श्री राघवेन्द्र खरे ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए माननीय सांसद श्री लल्लू सिंह ने कहा ग्रामीण पत्रकारिता के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं गांव के आखिरी व्यक्ति तक पहुंच सकती है।उन्होंने कहा कि पत्रकारिता न ही सकारात्मक होनी चाहिए न ही नकारात्मक होनी चाहिए अपितु सच्चाई से सधी होनी चाहिए।श्री लल्लू सिंह ने कहा कि देश व समाज के विकास में मीडिया की अहम भूमिका है। गांवों के विकास के लिए सभी को जुटना है, इसके लिए सभी तैयार रहें।उन्होंने कहा कि सरकार ने तमाम कल्याणकारी योजनाएं चला रखी हैं। बस हम सभी को इन योजनाओं को पात्र लाभार्थियों तक पहुंचाना है।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए अपर महानिदेशक ने श्री विजय कुमार ने कहा कि पत्रकारों की कलम कभी नहीं कांपती, विकट परिस्थितियों में भी वे अपनी अभिव्यक्ति से समाज को एक दिशा देते हैं, इसलिए जनता में राष्ट्रीय चेतना पैदा करने के लिये उन्हें हमेशा प्रयत्नशील रहना होगा।
पीआईबी के उपनिदेशक श्री एमएस यादव ने कहा कि सरकार की तमाम योजनाएं गांव-गरीब तक पहुँच रही हैं। इसमें ग्रामीण मीडिया की बड़ी भूमिका है। समाज और सरकार के लिए सबसे बड़ी उम्मीदें हैं।उन्होंने कहा कि ग्रामीण पत्रकार स्तंभ हैं। समस्याओं के निस्तारण में उनकी बहुत बड़ी भूमिका है। जन कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की जानकारी लोगों तक पहुंचाने में मीडिया एक सेतु का काम करती है। पत्रकारों को चाहिए कि वे राष्ट्रहित व समाज कल्याण में सकारात्मक पत्रकारिता को बल दें।शिक्षा मंत्रालय की डेप्युटी सेक्रेटरी श्रीकला पी वेणुगोपाल ने कहा कि केंद्रीय क्षेत्र की योजना ‘राष्ट्रीय साधन-सह-योग्यता छात्रवृत्ति योजना’ मई, 2008 में सीसीईए से अनुमति प्राप्त करने के बाद शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के मेधावी छात्रों को आठवीं कक्षा में उनके ड्रॉप आउट से रोकना और माध्यमिक स्तर पर अध्ययन जारी रखने हेतु उन्हें प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से छात्रवृत्ति प्रदान करना था।